दास्तान-ए-इश्क़ में कांटों से भरा दामन है ज़ख्म लगे गहरे, ये इश्क़ का पागलपन है हाल-ए-दिल बया करूँ मैं, "साजन" का जिस्म जल उठा, रूह अभी भी तड़पती है खाक हुए छोड गए ये ज़ालिम दुनिया को संग छोड़ गए, अकेला यहाँ तन्हा मुझ को दास्तान अधूरी रही इश्क़ में हमारी कृष्णा कुछ भर गए व कुछ ज़ख़्म अभी ताजा है ♥️ Challenge-514 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।