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अंधेरे :- ********* कहने को चकाचौंध है पर ! श्याह

अंधेरे :-
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कहने को चकाचौंध है पर ! श्याह अंधेरे हैं।
महफ़िलों में भी उदासियों के साए घनेरे हैं।

खौफ़ का मंज़र छिपा बैठा है दिल में कहीं,
मनहूसियत का दु:खद एहसास हमें घेरे हैं।

मिलना-बिछड़ना कहां किसी के हाथ होता?
मिथ्या भरम ने ही डाले न उम्मीदी के डेरे हैं।

गिरते-संभलते रहे यूं तो कई-कई बार हम,
पर! मेरे हौसलों को अपनों ने ही बिखेरें हैं।

यूं तो सारी दुनिया ही साथ-साथ चलती है, 
फिर भी! न जाने क्यों तन्हाइयों के बसेरे?

कौन है अपना कौन पराया पहचानू कैसे?
मानस पटल पे मैंने कुछ प्रतिबंब उकेरे हैं।

धैर्य रखना कब तक रहेगी ये काली रात ?
तमस मिटाने को होते नित नवल सवेरे हैं।

अर्चना तिवारी तनुज

©Archana Tiwari Tanuja
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26/07/223

अंधेरे :-
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कहने को चकाचौंध है पर ! श्याह अंधेरे हैं।

#andhere #अंधेरे Nojoto #motivatational #NojoroHindi #hindiwriters #MyThoughts 26/07/223 अंधेरे :- ******** कहने को चकाचौंध है पर ! श्याह अंधेरे हैं। #न्यूज़

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