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मेरी विवशताओं को देख कर भी उसे मुझ पर तरस नही

मेरी  विवशताओं  को  देख कर भी
उसे  मुझ पर तरस नही आया

एक लम्बा अरसा  हुआ... उसे यहां से गए हुए
इतने  खत..लिखें. पर जवाब नही आया

ज़ो  शख्स  बदल  दे मेरी जिंदगी को 
ऐसा कोई  अब तक मुझे नजर नही आया

. कितनी  की  थी कोशिश उसे  समझा.ने की
इसके बावजूद  वो कुछ  समझ नही. पाया

©Parasram Arora विवशताएँ......
मेरी  विवशताओं  को  देख कर भी
उसे  मुझ पर तरस नही आया

एक लम्बा अरसा  हुआ... उसे यहां से गए हुए
इतने  खत..लिखें. पर जवाब नही आया

ज़ो  शख्स  बदल  दे मेरी जिंदगी को 
ऐसा कोई  अब तक मुझे नजर नही आया

. कितनी  की  थी कोशिश उसे  समझा.ने की
इसके बावजूद  वो कुछ  समझ नही. पाया

©Parasram Arora विवशताएँ......