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उसने दी थी जो क़िताब वे किताबें पड़ी रही आलमारी मे

उसने दी थी जो क़िताब
वे किताबें पड़ी रही आलमारी में
कई दिनों तक,
उसकी यादों में सनी रही।
आज जब सुबह उस पर नजर गई।
जो रोक रखा था अश्क, वह आज बह गई।

©मुसाफिर
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