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कुछ देर तो रुको जी भर के देखा भी नही अभी तो तुम्ह

कुछ देर तो रुको 
जी भर के देखा भी नही
अभी तो तुम्हारी छुअन को महसूस भी नहीं किया
कितनी अधूरी बातें है जहन में अभी
जानती हूं जाना है तुम्हे 
फिर से लौट के आने के लिए
जानती हूं डूबता सूरज पसंद है तुम्हे
पर मुझे सूरज का उगना भाता है
क्योंकि ले कर आता है वो अपनी
हर किरण में तुम्हारा तेज़
रुको न कुछ पल
तुम जानते हो न 
तुम्हे सुनना कितना भाता है मुझे
तुम्हारी ख़ामोशी भी सुनाई पड़ती है अब तो
देखो न चाँद भी कितना बेताब है
बादलों की ओट में छुप जाने को
बस कुछ पल और 
फिर नींद के आगोश में खो जाउंगी
रुको न !!!
कुछ देर तो रुको 
जी भर के देखा भी नही
अभी तो तुम्हारी छुअन को महसूस भी नहीं किया
कितनी अधूरी बातें है जहन में अभी
जानती हूं जाना है तुम्हे 
फिर से लौट के आने के लिए
जानती हूं डूबता सूरज पसंद है तुम्हे
पर मुझे सूरज का उगना भाता है
क्योंकि ले कर आता है वो अपनी
हर किरण में तुम्हारा तेज़
रुको न कुछ पल
तुम जानते हो न 
तुम्हे सुनना कितना भाता है मुझे
तुम्हारी ख़ामोशी भी सुनाई पड़ती है अब तो
देखो न चाँद भी कितना बेताब है
बादलों की ओट में छुप जाने को
बस कुछ पल और 
फिर नींद के आगोश में खो जाउंगी
रुको न !!!