हो अमरदीप तुम,कमल लिए बढ़े चलो। सूबह चलो , शाम चलो,घर घर कमल लिए चलो। जाति है , न पाती है , हम सब एक साथी हैं। हम भी हैं , तुम भी हो , हम सब देश के बाती हैं। हैं राष्ट्र भक्त हम , देश के हम लाठी हैं।। खील रहा है , मुस्कुरा रहा है , देश आज। देश बढ़ रहा है , मीट रहा है , क्लेश आज।। हम राष्ट्र भक्त हैं , राष्ट्र के लिए लड़े चलो, हो अमरदीप तुम , कमल लिए बढ़े चलो।। ये सैनिक हैं आपके , एक नहीं कई हांथ है, खून गर्म करो , जुबां नर्म करो , हम साथ - साथ है। दिन है , या रात है, मातृ भूमि कि बात है।। नहीं कोई दुरियां , नहीं तकरार है अपने मातृभूमि को नमन तुम किए चलो। भाजपा के सम्वीधान का अमल तुम किए चलो।। हो अमरदीप तुम , कमल लिए बढ़े चलो।। ######################## प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar हो अमरदीप तुम।