Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब पड़ जाता हूं अकेला तब पन्नों को थाम लेता हूं कल

जब पड़ जाता हूं अकेला तब पन्नों को थाम लेता हूं
कलम की नोक से अपना अकेला पन लिख देता हूं

फिर ना जाने अकेला पन अलग मोड़ पकड़ लेता है
फिर ना जाने गुमसुम सा एक साथी हाथ थाम लेता है

जो था अकेला पन उसका अहसास बदल सी जाती है
मैं होता तो हूं अकेला पर सच्चाई झूठी पड़ जाती है

वो गुमसुम सी साथी मानो जहन में कुछ बात रख जाती है
तू अकेला कभी था ही नहीं ये बात समझा जाती है

फिर हाथ थामे टूटे भरोसे को फिर से संवारती है वो
फिर हाथ थामे एक मोड़ से दूसरे मोड़ में ले जाती है वो

मैं भूल गया हूं किस बात पर मैं सदमे में खोया था
मैं भूल गया हूं कि क्यूं मैं जमाने से रूठा था

हाथ थामें वो मुझे बस चलने को कहती है
कलम की नोक में अनजान दुनियां रचने को कहती है

मैं भी बस लिखता जा रहा हूं बस लिखता जा रहा हूं
हाथ तो वो थामी है मैं बस बड़ता जा रहा हूं

खुद की दुनिया छोड़ मैं एक नई दुनियां लिख रहा हूं
उस गुमसुम से शक्श से गुमसुम सी बातें कर रहा हूं

ये बातें मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रही है
ये बातें मानो हर मोड़ में अलग ही ख्वाहिशें बुन रहीं है

पन्नों ने मानो पंख को अब परवाज़ दे दिया हो
खुद में सिमटा कर मुझमें एक अरमान भर दिया हो

अब जमीं छोड़ मैं ख्वाहिशों के संग उड़ रहा हूं
अब जमीं की बात को जमीं में रख आसमां चूम रहा हूं

आसमां ख्वाहिशों की मानो मुझसे एक बात कह गई
तू कभी अकेला था ही नहीं बस दिल की बात कर गई।।

©Yogesh Yadav #waitdesire  cdsdv
जब पड़ जाता हूं अकेला तब पन्नों को थाम लेता हूं
कलम की नोक से अपना अकेला पन लिख देता हूं

फिर ना जाने अकेला पन अलग मोड़ पकड़ लेता है
फिर ना जाने गुमसुम सा एक साथी हाथ थाम लेता है

जो था अकेला पन उसका अहसास बदल सी जाती है
मैं होता तो हूं अकेला पर सच्चाई झूठी पड़ जाती है

वो गुमसुम सी साथी मानो जहन में कुछ बात रख जाती है
तू अकेला कभी था ही नहीं ये बात समझा जाती है

फिर हाथ थामे टूटे भरोसे को फिर से संवारती है वो
फिर हाथ थामे एक मोड़ से दूसरे मोड़ में ले जाती है वो

मैं भूल गया हूं किस बात पर मैं सदमे में खोया था
मैं भूल गया हूं कि क्यूं मैं जमाने से रूठा था

हाथ थामें वो मुझे बस चलने को कहती है
कलम की नोक में अनजान दुनियां रचने को कहती है

मैं भी बस लिखता जा रहा हूं बस लिखता जा रहा हूं
हाथ तो वो थामी है मैं बस बड़ता जा रहा हूं

खुद की दुनिया छोड़ मैं एक नई दुनियां लिख रहा हूं
उस गुमसुम से शक्श से गुमसुम सी बातें कर रहा हूं

ये बातें मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रही है
ये बातें मानो हर मोड़ में अलग ही ख्वाहिशें बुन रहीं है

पन्नों ने मानो पंख को अब परवाज़ दे दिया हो
खुद में सिमटा कर मुझमें एक अरमान भर दिया हो

अब जमीं छोड़ मैं ख्वाहिशों के संग उड़ रहा हूं
अब जमीं की बात को जमीं में रख आसमां चूम रहा हूं

आसमां ख्वाहिशों की मानो मुझसे एक बात कह गई
तू कभी अकेला था ही नहीं बस दिल की बात कर गई।।

©Yogesh Yadav #waitdesire  cdsdv
yogeshyadav9982

Yogesh Yadav

New Creator