चाँद का कसूर आज कुछ खास लिख रहा हू मेरे मन के अहसास लिख रहा हू,, तुम्हे मेरी जिंदगी मेरी आस लिख रहा हू ये चाँद तू तारो संग हे लेकिन तुझे मे मेरे पास लिख रहा हू,, शरद की चांदनी उसकी ठिठुरण मे तुम हो साथ ये विश्वास लिख रहा हू,, सौंदर्य से परिपूर्ण हे इसमे तेरा कोई कसूर नही हे कसूर मेरी प्रियसी का जिसे देख हुआ मदहोश उसकी हर अदा मे बिंदास लिख रहा हू ,,,, मे अपने प्यार का अहसास लिख रहा हू,,,,,,,,, ✍नितिन कूवादे...... #मेरे_अहसास