तुम्हारी तन्हाइयो की तरह रोना है मुझे इन पक्षियों की तरह ही मोहब्बत मे खोना हैं मुझे नींद नही आई कई रातो से तुम्हारी गोद मे सिर रख सोना हैं मुझे जिशान्त अंसारी यादों से मुखातिब