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शर्म कर इंसान गर खुद को तू इंसान बताता है ? बे‌ज़ु

शर्म कर इंसान गर खुद को तू इंसान बताता है ?
बे‌ज़ुबां को भूखा देख उसे तू बम खिलाता है ।

गलती तेरी नहीं थी! उसकी थी ।
‌जो‌‌ ‌इंसान की इंसानियत पे भरोसा कर बैठी ।
भूखी थी ना वो बेचारी मॉं इसलिए थोड़ी जल्दबाज़ी कर बैठी।

आज के बाद से "इंसानियत" मेहज़ एक मज़ाक रह जाएगा।
जब आने वाला इंसान भी जल्द जानवर कहलायेगा।
~(Saarthak Kachroo)✍️ Insaan ki "Insaaniyat" ✍️
शर्म कर इंसान गर खुद को तू इंसान बताता है ?
बे‌ज़ुबां को भूखा देख उसे तू बम खिलाता है ।

गलती तेरी नहीं थी! उसकी थी ।
‌जो‌‌ ‌इंसान की इंसानियत पे भरोसा कर बैठी ।
भूखी थी ना वो बेचारी मॉं इसलिए थोड़ी जल्दबाज़ी कर बैठी।

आज के बाद से "इंसानियत" मेहज़ एक मज़ाक रह जाएगा।
जब आने वाला इंसान भी जल्द जानवर कहलायेगा।
~(Saarthak Kachroo)✍️ Insaan ki "Insaaniyat" ✍️