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नम् से आंखें बन्द हो रही,अब दिल से है आंसू बह रहा

नम् से आंखें बन्द हो रही,अब दिल से है आंसू बह रहा ,,
मेरी आत्मा जो है तन में , आप से है कुछ कह रहा ।।
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अभी अटल जी सो रहे हैं ,
मात्री भुमी कि गोद में ।
छुट्टीयों में गये हैं वो ,
नई राजनिति की खोज में ।।
दिपक  अभी बूझा नहीं है ,
दरवाजा बन्द हो गया है ।
अटल जी कि आत्मा ,
भीतर शान्त सो गया है ।।
आमावश्या कि रात है ,
चांद फिर निकल आएगा ।
देश कि राजनिति को ,
नया राह दिखलाएगा ।।
दुर्लभ तन तुष्य में ,
विलीन हो गया है ।
दर्पण जो था मुखारविंद में ,
निलगगन में ,कहीं खो गया है ।।
प्रांगण था यह देश अटल का ,
प्रतिज्ञ स्मरण हो गया है ।
कवीताओं में धधक थी जोलाहल का ,
आज पुष्प गंध में खो गया है ।।
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मेरी ओर से कवीता के द्वारा अटल जी को दी गई श्रधांजली
प्रमोद मालाकार , जमशेदपुर , झारखण्ड , भाजपा ।।

©pramod malakar
  #भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी को श्रद्धांजलि

#भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी को श्रद्धांजलि #कविता

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