"..विहीन" जब जब बोल हीन हो जाते है, आत्म बंधन कठिन हो जाते है, मन मुरझाकर मंद प जाता है, मिजाज रंग विहीन हो जाते है। जब धोखे संगीन हो जाते है, संगी सब गमगीन हो जाते है, यह तन बदन मंद पड़ जाता है, रिश्ते नाद विहीन हो जाते है। जब आप पराधीन हो जाते है, स्वप्न सारे अधीन हो जाते है, मगज आधार मंद पड़ जाता है, हाथ किस्मत विहीन हो जाते है। ©Anand Dadhich #विहीन #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoetry #poetsofindia #blindtrust