जितना कहता उतना करता ज्यादा फेंक नहीं पाता जो हैं मेरे संगी साथी काम से मेरे वाकिफ हैं मेरी ग़ज़लें, मेरी नज्में, नाम मेरा मुझसे मशहूर लोग शक्ल से ना पहचानें नाम से मेरे वाक़िफ़ हैं © राहुल रेड #World_Speech_Day जितना कहता उतना करता ज्यादा फेंक नहीं पाता