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बनबाला के गीतों सा निर्जन में बिखरा है मधुमास, इन

बनबाला के गीतों सा 
निर्जन में बिखरा है मधुमास,
इन कुंजों में खोज रहा है
 सूना कोना मन्द बतास।

नीरव नभ के नयनों पर
हिलती हैं रजनी की अलकें,
जाने किसका पंथ देखती
 बिछकर फूलों की पलकें।

#महादेवी वर्मा  #जन्मजयंती #महादेवी वर्मा
बनबाला के गीतों सा 
निर्जन में बिखरा है मधुमास,
इन कुंजों में खोज रहा है
 सूना कोना मन्द बतास।

नीरव नभ के नयनों पर
हिलती हैं रजनी की अलकें,
जाने किसका पंथ देखती
 बिछकर फूलों की पलकें।

#महादेवी वर्मा  #जन्मजयंती #महादेवी वर्मा