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मिटा दी गयी फूल सी नन्ही सी ज़िन्दगी, क़सूर बस इतना

मिटा दी गयी फूल सी नन्ही सी ज़िन्दगी,
क़सूर बस इतना हीं था के उसकी लड़ाई,
उसके हक की थी उस के घर की थी!
ऐ तमाशाबिन ज़माना ये तो बताओ,
क्या कहोगे उस रब से जिसके बन्दों को,
तन्हा छोड़ दिया मर मिटने को!
वो मुस्तफा के ग़ुलाम हैँ वही जायेंगे,
मुस्तफा के करीब वही रहेंगे,
क्या तुम क़र्बला के दौर का इंतेज़ार कर रहे हों!

©ABi Aman
  #Soul सेफ गाज़ा चाइल्ड@#

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