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रहने को चार दिवारी और दो वक्त का खाना है, यकीन मान

रहने को चार दिवारी और दो वक्त का खाना है,
यकीन मानो दोस्त ये भी एक ख़ज़ाना है।

कुछ लोग आज भी ठंड रातो में बिन कम्बल सड़क पर सोते है,
सब कुछ दिया हमे भगवान् ने फिर क्यूं भाग्य का रोना रोते हैं।

#Be_Thankful🙏 #Be_thankful 

#alone
रहने को चार दिवारी और दो वक्त का खाना है,
यकीन मानो दोस्त ये भी एक ख़ज़ाना है।

कुछ लोग आज भी ठंड रातो में बिन कम्बल सड़क पर सोते है,
सब कुछ दिया हमे भगवान् ने फिर क्यूं भाग्य का रोना रोते हैं।

#Be_Thankful🙏 #Be_thankful 

#alone