Eid Mubarak प्रेम और करुणा की दो सीधी सरल लंबवत रेखाएं मेरी ऒर बढ़ती गई किन्तु मेरी ऊब और उदासी की वक्र रेखा ने उन्हें मुझ तक पहुंचने नहीं दिया प्रीती का चिन्मय अस्तित्व आज भी मुझसे उतना ही दूर हैँ जितना पहले था प्रीत का चिन्मय अस्तित्व