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Eid Mubarak प्रेम और करुणा की दो सीधी सरल

Eid Mubarak    प्रेम  और  करुणा  की 
दो सीधी  सरल   लंबवत  रेखाएं 
मेरी ऒर  बढ़ती गई 
किन्तु मेरी  ऊब   और  उदासी की 
वक्र रेखा  ने  उन्हें 
मुझ तक   
पहुंचने   नहीं दिया 
प्रीती  का  चिन्मय  अस्तित्व  
आज भी  मुझसे   
उतना ही  दूर हैँ  
जितना  पहले  था प्रीत का  चिन्मय  अस्तित्व
Eid Mubarak    प्रेम  और  करुणा  की 
दो सीधी  सरल   लंबवत  रेखाएं 
मेरी ऒर  बढ़ती गई 
किन्तु मेरी  ऊब   और  उदासी की 
वक्र रेखा  ने  उन्हें 
मुझ तक   
पहुंचने   नहीं दिया 
प्रीती  का  चिन्मय  अस्तित्व  
आज भी  मुझसे   
उतना ही  दूर हैँ  
जितना  पहले  था प्रीत का  चिन्मय  अस्तित्व

प्रीत का चिन्मय अस्तित्व