शरद पूनम की शीतल यामिनी, रास रचे रसपान करे, सोलह श्रृंगार सुसज्जित शशि, नभ शोभायमान करे। चारू चंद्र की चंचल किरणें, चमकीली चितचोर बने, कवि की कल्पना को कौमुदी, यथार्थ मूर्तिमान करे। हमसफ़र बनकर हुस्न का, हाथों में हमारा हाथ हो, अक्श दिखे नभ जल थल में, एक फलक एक साथ हो। 🌝प्रतियोगिता-40 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"पूनम की रात"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I