White मंगल भवन अमंगल हारी आरति करुँ तोरी अवधबिहारी रत्नजड़ित सिंहासन साजे बाम भाग जानकी विराजे चरण कमल सोहे गिरिधारी... आरति करुँ तोरी अवध बिहारी.. भरत शत्रुघन चँवर डुलावें लक्षमन दास भाव अति भावें दशरथ के सुख सागर चारी आरति करुँ तोरी अवधबिहारी.. कर में धनुष बाण अति सोहे युगलछवि भगतन मन मोहे देहु भगति वर जनकदुलारी आरति करुँ तोरी अवधबिहारी.. भ्रात भरत सम जगत न होई राम रूप जानत कोइ कोई रिपुसूदन की महिमा न्यारी आरति करुँ तोरी अवधबिहारी.. आरति नाथ दीन की लीजै चरण कमल आश्रय कर दीजै तुम्हरी जय जय पालनहारी आरति करुँ तोरी अवधबिहारी.. जय सुखसागर जय सुखराशि जय सच्चिदानंद अविनाशी ध्यान धरें ब्रम्हा त्रिपुरारी आरति करुँ तोरी अवधबिहारी.... जो जन शरण तुम्हारी आवे मनवांछित फल चारहुँ पावे नाम की महिमा विदित तुम्हारी आरति करुँ तोरी अवधबिहारी.. ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #अवधबिहारी तेरे नाम