मिलते हैं औरों में नखरे, मगर तुझमें नज़ाकत ढूंढ रहा हूं मैं। सब करती है दिल्लगी, मगर तुझमें चाहत ढूंढ रहा हूं मैं। तूं समझतीं क्यों नहीं? तुझमें प्यार की आहट ढूंढ रहा हूं मैं। ---------आनन्द ©आनन्द कुमार #Anand_Ghaziabadi #आनन्द_गाजियाबादी #नजाकत #नखरे poetry in hindi hindi poetry