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कभी खुली किताब लिखता हूं तो कभी बंद दरवाजा लिखता ह

कभी खुली किताब लिखता हूं तो कभी बंद दरवाजा लिखता हूं
मेरे हिस्से में जो मिला मुझे वह सब कुछ हकीकत लिखता हूं
लिखने के सिवा और कुछ नहीं है मेरे पास
इसीलिए कभी तुमको लिखता हूं कभी खुद को लिखता हूं

©SainikKavi
  #मरी_कविता_मैं_सैनिक_कवि