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वो अपनी नमाज़ पढ़कर, मेरी होली देखने आता हैं फिर मे

वो अपनी नमाज़ पढ़कर, 
मेरी होली देखने आता हैं
फिर मेरे हाथों अपने गालो पर , 
जमकर गुलाल लगवाता है।
वो अपनी ईद पर मेरे लिए , 
दस्तरख्वान बिछाता हैं
फिर मेरी दिवाली पर आकर, 
हर शमा रौशन कर जाता हैं।।
उसकी उर्दू ग़जलों पे मेरा दिल आता हैं 
उसे भी तो हिंदी का गीत भाता है।।।
कैसे समझाऊ नफरत फैलाने वालों को,
कि वहाँ जहर फैलाकर क्या मिलता हैं
जहाँ "अस-सलाम-वालेकुम" का जवाब 
हर बार "जय श्रीराम" आता हैं।।।। #We are United..
वो अपनी नमाज़ पढ़कर, 
मेरी होली देखने आता हैं
फिर मेरे हाथों अपने गालो पर , 
जमकर गुलाल लगवाता है।
वो अपनी ईद पर मेरे लिए , 
दस्तरख्वान बिछाता हैं
फिर मेरी दिवाली पर आकर, 
हर शमा रौशन कर जाता हैं।।
उसकी उर्दू ग़जलों पे मेरा दिल आता हैं 
उसे भी तो हिंदी का गीत भाता है।।।
कैसे समझाऊ नफरत फैलाने वालों को,
कि वहाँ जहर फैलाकर क्या मिलता हैं
जहाँ "अस-सलाम-वालेकुम" का जवाब 
हर बार "जय श्रीराम" आता हैं।।।। #We are United..

#we are United.. #poem