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खोने लगे थे कही हम तन्हाई ने खुद से मिलाया अँधेरे

खोने लगे थे कही हम
तन्हाई ने खुद से मिलाया 
अँधेरे ने दिया बनकर
हमें फिर जलना सिखाया
सहारे की लाठी टूटी
वक्त  ने फिर उड़ना सिखाया
नाजुक थे हम काँच से 
संघर्ष ने हिरा बनाया
जीवन के है रीत यही
कुछ खोकर है कुछ पाना
दर्द मिला जो जीवन में
खुशियों को है पहचाना
आँसू मिले निगाहों में
फिर भी तू मुस्कराना
पतझड़ के बाद हा तय है
बहार का फिर आना
ईश्वर ने लिया जो भी..
उससे बेहतर देगा भी ,
जो टूटे ख्वाब हताश ना हो
नये ख्वाब संजोले फिर।
गम हो या ख़ुशी के पल
बस गुनगुना तू यही तराना..
फूल काँटे जो भी हो राह में
एक दिन मंजिल को तय है पाना।

©®प्रभा देवी आभा..✍️
    16-12-2022
#प्रभा_की_कविताएं
#nojoto #prabha_ki_kavitayen
#Nojoto
#nojoto2022
#nojoto2022newShayari
खोने लगे थे कही हम
तन्हाई ने खुद से मिलाया 
अँधेरे ने दिया बनकर
हमें फिर जलना सिखाया
सहारे की लाठी टूटी
वक्त  ने फिर उड़ना सिखाया
नाजुक थे हम काँच से 
संघर्ष ने हिरा बनाया
जीवन के है रीत यही
कुछ खोकर है कुछ पाना
दर्द मिला जो जीवन में
खुशियों को है पहचाना
आँसू मिले निगाहों में
फिर भी तू मुस्कराना
पतझड़ के बाद हा तय है
बहार का फिर आना
ईश्वर ने लिया जो भी..
उससे बेहतर देगा भी ,
जो टूटे ख्वाब हताश ना हो
नये ख्वाब संजोले फिर।
गम हो या ख़ुशी के पल
बस गुनगुना तू यही तराना..
फूल काँटे जो भी हो राह में
एक दिन मंजिल को तय है पाना।

©®प्रभा देवी आभा..✍️
    16-12-2022
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