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जय भीम शायरी नहीं अंबेडकर जैसे, कहीं से और आते ह

जय भीम शायरी


नहीं अंबेडकर जैसे, कहीं से और आते हैं
सभी के दिल में होते हैं, कठिन श्रम से बनाते हैं
हमारी काबलीयत ही बने, पहचान प्रण कर लो
जयंती भीम की संकल्प, लेकर के मनाते हैं।

©Radhacharan Ahirwar
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