चला था मंज़िल पाने की तलाश मे, लोग मिलते गए, कारवाँ बनता गया, जब भी देखा दुसरों को टूट ते बिखरते, उनको होंसला देकर, उनका आत्मविस्वास बढ़ता गया, जिनको लगा की मेरे साथ चलना अच्छा है, उनको भी साथ अपने कारवां मे लेकर आगे बढ़ता गया, जिनको साथ छोड़ना था, वो छोड़ कर चले गए, उनके लिये भी दिल से दुआ, तरक्की शुभकामनाएं देता चला गया, चला था मंज़िल पाने की तलाश मे, लोग मिले सफर मे चलता गया। continue.... अनुकरण चला था