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माफ़ करना... छिपाते छिपाते तू रुसवा कब हो ग


माफ़ करना... 





छिपाते छिपाते तू रुसवा कब हो गई, पता ही नहीं चला, 
तेरा नाम लेने की ख़ता कब हो गई, पता ही नहीं चला, 
नाम लेने में हर्ज़ न था जो बेपरवाह दिख पाते लेकिन, 
नाम लेते ही आंखें नम कब हो गईं, पता ही नहीं चला!

©Shubhro K
  I made a few changes... streamlined it a bit more..
shubhrokdedas6046

Shubhro K

Silver Star
New Creator

I made a few changes... streamlined it a bit more.. #Shayari

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