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संवेदनशीलता के आगे झुका, विपदा का आँधियारा, जीवन क

संवेदनशीलता के आगे झुका, विपदा का आँधियारा, जीवन के संघर्ष में खो गयी सारी आशाएं हारा। अपूर्णताओं के आंसूओं में छिपा है विरह का विराग, हर दिल की कथा, दर्द की महाकाव्य, निहारे कठिनाइयों का सागर।

भावनाओं के आईने में, दुःख की मुस्कान छिपी हुई है, प्रेम की छांव में उठते अलगाव की आहट दिल में बसी है। हर जीव के अंतर में, तड़प रहा है खोई आस, दर्द की मिठास बरसाए, दुखों के मेले में भरी हुई जगत की विलासिता को निहारे।

©Maipak Sana
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michelwilliam3646

Maipak Sana

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