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मेरी आँखों को फिर तेरी हिज्र का बहाना मिल गया ना

मेरी आँखों को फिर तेरी हिज्र 
का बहाना मिल गया
ना चाहते हुए भी आंसू बहाना
पढ़ गया
वो खाक मुहब्बत तेरी वो बेपनाहा
इश्क़ मेरा 
कम्बख्त मेरे दिल को भी तड़पने
का बहाना मिल गया

pen by
        nikhat
21/03/2014

©NIKHAT (दर्द मेरे अपने है )
  #बहाना  Arshad Siddiqui Neel Adhuri Hayat J P Lodhi. heartlessrj1297  Lalit Saxena shashi kala mahto Nikhat Umme Habiba SHWETA DAYAL SRIVASTAVA