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गुल हो ,गुलनार हो, महजबीं, महताब हो इतनी हसीं...क्

गुल हो ,गुलनार हो, महजबीं, महताब हो
इतनी हसीं...क्या तुम किसी शायर का ख़्वाब हो? 
ग़ज़ल हो या पूरी किताब हो
कायनात का करिश्मा, तुम तो बेमिसाल हो
✍️निरूपा कुमारी

©Nirupa Kumari
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