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तुम्हारे स्नेह की परछाईंं चलती है हर कदम साथ अकेले

तुम्हारे स्नेह की परछाईंं
चलती है हर कदम साथ
अकेले रहने की सोच से
कहीं बहुत दूर
कोई पास है होने का
अहसास दिलाती है
सदैव
जो बिखेरती है 
चित्त में
एक अजब सा अहसास
भरती है सदा दृढ़ विश्वाष
निर्भीकता और उत्साह
पग पग पर
करती है  
सावधान 
वो सदा
देती है सीख सदा
चलते रहने की
कर्मपथ पर
अनवरत बिना रुके
बिना थके
कहती है मैं हूँ ना
धन्य है
तुम्हारे स्नेह की परछाईं..

©vs dixit
  #womensday2023