नहीं कोई जहाँ मे अब हमारा औ तुम्हारा है ।। तुम्हारा प्यार ही साथी हमारा अब सहारा है ।।१ समझ जिसको रहें अपना वहीं ख़ंजर लिए बैठा । करेगा क़त्ल वो मेरा समय करता इश़ारा है ।।२ न जाने क्यों खफ़ा मुझसे यहाँ है ज़िंदगी अपनी । मगर हर मोड़ पर हमने उसी को ही पुकारा है ।।३ बड़ी खामोश रहती है सुना है पायलें उनकी । मिला जब भी सनम मुझसे सुनों पायल उतारा है ।। ४ कहें क्या आप बीती हम बता अब दूर से इतनी । तुम्हारे बिन यहाँ कैसे सुनो जीवन गुजारा है ।।५ न मिलते आप जो हमको यकीं था डूब ही जाते । तुम्हीं ने डूबती कस्ती हमारी पार उतारा है ।। ६ बहुत बेरंग थी दुनिया प्रखर की यार अब सुन लो । नज़र भर कर दफ़ा पहली तुम्हें भी तो निहारा है ।।७ २९/०५/२०२२ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR नहीं कोई जहाँ मे अब हमारा औ तुम्हारा है ।। तुम्हारा प्यार ही साथी हमारा अब सहारा है ।।१ समझ जिसको रहें अपना वहीं ख़ंजर लिए बैठा । करेगा क़त्ल वो मेरा समय करता इश़ारा है ।।२ न जाने क्यों खफ़ा मुझसे यहाँ है ज़िंदगी अपनी । मगर हर मोड़ पर हमने उसी को ही पुकारा है ।।३