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दोहा :- देख रहे हैं मेघ को , देखो आज किसान । अबके

दोहा :-

देख रहे हैं मेघ को , देखो आज किसान ।
अबके बरसे जो यहाँ , सबको मिले निदान ।।

फसल सूखती जा रही , कब होगी बरसात ।
बतलाओ भगवन मुझे , होगी कब शुरुआत ।।

आज खिलायेगें सजन , हमको रोटी नून ।
बरसो से खाये नही , रोटी हम दो जून ।।

दुष्ट जगत में बढ़ रहे , ले लो प्रभु अवतार ।
तुम ही कर सकते यहाँ , इनका अब संहार ।।

आज मिलन की रैन है , लाए प्रिय बारात ।
देखो न मुलाकात यह  , है अपनी सौगात ।।

२२/०६/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

देख रहे हैं मेघ को , देखो आज किसान ।
अबके बरसे जो यहाँ , सबको मिले निदान ।।

फसल सूखती जा रही , कब होगी बरसात ।
बतलाओ भगवन मुझे , होगी कब शुरुआत ।।
दोहा :-

देख रहे हैं मेघ को , देखो आज किसान ।
अबके बरसे जो यहाँ , सबको मिले निदान ।।

फसल सूखती जा रही , कब होगी बरसात ।
बतलाओ भगवन मुझे , होगी कब शुरुआत ।।

आज खिलायेगें सजन , हमको रोटी नून ।
बरसो से खाये नही , रोटी हम दो जून ।।

दुष्ट जगत में बढ़ रहे , ले लो प्रभु अवतार ।
तुम ही कर सकते यहाँ , इनका अब संहार ।।

आज मिलन की रैन है , लाए प्रिय बारात ।
देखो न मुलाकात यह  , है अपनी सौगात ।।

२२/०६/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

देख रहे हैं मेघ को , देखो आज किसान ।
अबके बरसे जो यहाँ , सबको मिले निदान ।।

फसल सूखती जा रही , कब होगी बरसात ।
बतलाओ भगवन मुझे , होगी कब शुरुआत ।।

दोहा :- देख रहे हैं मेघ को , देखो आज किसान । अबके बरसे जो यहाँ , सबको मिले निदान ।। फसल सूखती जा रही , कब होगी बरसात । बतलाओ भगवन मुझे , होगी कब शुरुआत ।। #कविता