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मेरी जज़्बातों को कलम मिल गई अपनी अल्फाज़ो को तकलीफ

मेरी जज़्बातों को कलम  मिल गई
अपनी अल्फाज़ो को तकलीफ क्यों दूँ


मुझे सुनने वाला कोई नहीं 
मुझे पढ़ते है सब बड़े चाव से

©NIKHAT (दर्द मेरे अपने है )
  Umme Habiba प्रशांत की डायरी Lalit Saxena Mahi J P Lodhi.  Arshad Siddiqui R... Ojha Priya Gour back bench  Neel