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जब भी तेरे अनकहे एहसास की आवाज को सुन पाती हूँ म

जब भी तेरे 
अनकहे एहसास की आवाज को सुन पाती हूँ 
मैं ठहर सी जाती हूँ 

मन बैठा हुआ होता है 
कहीं शांत झील की 
गहराई में 
ख्वाहिशों के बवंडर को 
शांत हुआ पाती हूँ 
मैं जब भी तेरे अनकहे एहसास ........

तूने छूआ था 
मेरी रूह को एक बार 
और मैं हर रोज 
उस छुअन को सहलाती हूँ 
मैं जब भी...

तेरा कोई वादा ना था कभी 
साथ होने का मगर 
तुझे हर मोड़ पर 
खड़ा हुआ पाती हूँ 
मै जब भी..........       💦🌸

©A S
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