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lockdown आज खाली घर मे कुछ अलग सा खालीपण सा लग रह

lockdown 
आज खाली घर मे कुछ अलग सा खालीपण सा लग रहा हैं 
कभी खामोशी को इतने करीब से रुबरु होते नही देखा था ,
घड़ी की आवाज कुछ सिनी सुनायी सी लग रही थी,
रास्तो पर खामोशिका त्योहार सजा हैं 
गलियो मे हवाओं का घुमता शोर सजा हैं 
आसमान भी कुछ साफ सा लगता हैं 
अभी बादलो से घिरा गगन आज टिम टिमाते तारो सा लग रहा हैं
कुछ लोग घर के बाहर बाते कर दिख तो रहे हैं 
पर मन के भीतर घबराहट सा बीज उमलता दिख भी रहा हैं 
बातो मे सच्चायी जरुर है ,फिर भी उसमे फिक्र की डाट भी जरुर हैं
गाडियो पे धुल सजी देख रहा था
जैसे लग रहा था की सदिया गुजर रही थी
हर पल की खामोशी हर पल आती खबरे दिल पे एक घाव सा दे जा रही थी
बात कल की करो या आज की मोहताज सभी को बना रही थी
लग रहा था की पिंजरो में एक जान तडप रही थी
खयाल आते आते रूह को मजार की आस लग रही थी
हर पल रेत सा गुजर ने लगा था 
बंजर बनी रिश्तेदारी फिर से हरीभरी लग रही थी
हालत तो कुछ इस कदर बदले बदले से लग रहे थे 
दूर बेठे आज करीब से लग रहे थे
ये वक्त मे सभी के किरदार एक नाटक से लग रहे थे ,
सभी अपने किरदार बखुबी निभा रहे थे ,
कुछ दिनो में ईन्सान ईन्सान से लग तो रहे थे,
आज ईन्सान खुदसे ही दूर भाग रहा था
लग रहा था की ईन्सान अपने घर लोट रहा था
कुछ काम नजर नही था 
कुछ हाल नजर नही था
जान बचाने के खतिर सभी 
अपनी जान की पुकार लगा रहे थे
ये वक्त ऐसे करवट यू बदल रहा था
लग रहा था आप बिती सुना रहा था
आज सभी जगे ताले क्यु हैं ,जग जगह ये पेहेरे क्यु हैं 
बात तो सिधी सरल ऐसे लग तो नही लग रही थी
जो गुजरा हो वो कल था 
जो कुछ केहेनी की कोशिश सी लग रही थी
सभल तो हर कोई सकता था ,बस सभल पानी की बात थी
बस थोडी सी कोशिश से ये हालातो को सुधारा जा सकता था 
बस थोडी सी कोशिश से ये हालातो को सुधारा जा सकता था #Lockdown_
आज खाली घर मे कुछ अलग सा खालीपण सा लग रहा हैं 
कभी खामोशी को इतने करीब से रुबरु होते नही देखा था ,
घड़ी की आवाज कुछ सिनी सुनायी सी लग रही थी,
रास्तो पर खामोशिका त्योहार सजा हैं 
गलियो मे हवाओं का घुमता शोर सजा हैं 
आसमान भी कुछ साफ सा लगता हैं 
अभी बादलो से घिरा गगन आज टिम टिमाते तारो सा लग रहा हैं
lockdown 
आज खाली घर मे कुछ अलग सा खालीपण सा लग रहा हैं 
कभी खामोशी को इतने करीब से रुबरु होते नही देखा था ,
घड़ी की आवाज कुछ सिनी सुनायी सी लग रही थी,
रास्तो पर खामोशिका त्योहार सजा हैं 
गलियो मे हवाओं का घुमता शोर सजा हैं 
आसमान भी कुछ साफ सा लगता हैं 
अभी बादलो से घिरा गगन आज टिम टिमाते तारो सा लग रहा हैं
कुछ लोग घर के बाहर बाते कर दिख तो रहे हैं 
पर मन के भीतर घबराहट सा बीज उमलता दिख भी रहा हैं 
बातो मे सच्चायी जरुर है ,फिर भी उसमे फिक्र की डाट भी जरुर हैं
गाडियो पे धुल सजी देख रहा था
जैसे लग रहा था की सदिया गुजर रही थी
हर पल की खामोशी हर पल आती खबरे दिल पे एक घाव सा दे जा रही थी
बात कल की करो या आज की मोहताज सभी को बना रही थी
लग रहा था की पिंजरो में एक जान तडप रही थी
खयाल आते आते रूह को मजार की आस लग रही थी
हर पल रेत सा गुजर ने लगा था 
बंजर बनी रिश्तेदारी फिर से हरीभरी लग रही थी
हालत तो कुछ इस कदर बदले बदले से लग रहे थे 
दूर बेठे आज करीब से लग रहे थे
ये वक्त मे सभी के किरदार एक नाटक से लग रहे थे ,
सभी अपने किरदार बखुबी निभा रहे थे ,
कुछ दिनो में ईन्सान ईन्सान से लग तो रहे थे,
आज ईन्सान खुदसे ही दूर भाग रहा था
लग रहा था की ईन्सान अपने घर लोट रहा था
कुछ काम नजर नही था 
कुछ हाल नजर नही था
जान बचाने के खतिर सभी 
अपनी जान की पुकार लगा रहे थे
ये वक्त ऐसे करवट यू बदल रहा था
लग रहा था आप बिती सुना रहा था
आज सभी जगे ताले क्यु हैं ,जग जगह ये पेहेरे क्यु हैं 
बात तो सिधी सरल ऐसे लग तो नही लग रही थी
जो गुजरा हो वो कल था 
जो कुछ केहेनी की कोशिश सी लग रही थी
सभल तो हर कोई सकता था ,बस सभल पानी की बात थी
बस थोडी सी कोशिश से ये हालातो को सुधारा जा सकता था 
बस थोडी सी कोशिश से ये हालातो को सुधारा जा सकता था #Lockdown_
आज खाली घर मे कुछ अलग सा खालीपण सा लग रहा हैं 
कभी खामोशी को इतने करीब से रुबरु होते नही देखा था ,
घड़ी की आवाज कुछ सिनी सुनायी सी लग रही थी,
रास्तो पर खामोशिका त्योहार सजा हैं 
गलियो मे हवाओं का घुमता शोर सजा हैं 
आसमान भी कुछ साफ सा लगता हैं 
अभी बादलो से घिरा गगन आज टिम टिमाते तारो सा लग रहा हैं

#lockdown_ आज खाली घर मे कुछ अलग सा खालीपण सा लग रहा हैं कभी खामोशी को इतने करीब से रुबरु होते नही देखा था , घड़ी की आवाज कुछ सिनी सुनायी सी लग रही थी, रास्तो पर खामोशिका त्योहार सजा हैं गलियो मे हवाओं का घुमता शोर सजा हैं आसमान भी कुछ साफ सा लगता हैं अभी बादलो से घिरा गगन आज टिम टिमाते तारो सा लग रहा हैं