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प्रेम की परिभाषा प्रेम ज्यादतर एक तरफा होता है



प्रेम की परिभाषा


प्रेम ज्यादतर एक तरफा होता है, अगर प्रेम दो तरफा हो तो, वह संसार की सबसे खुबसूरत पल या कहें तो जीवन में मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ज्यादातर साहित्यकार का मानना है कि प्रेम की शुरूआत दो तरफा ही होती है, ओर एक तरफा प्रेम कुछ होता ही नहीं है प्रेम दोनों तरफा हमेशा होता है किसी में कम किसी में ज्यादा, कोई स्वतंत्र तो कोई बंदिश में रहता है। कृष्ण और राधा का प्रेम के बारे में सब जानते है, लेकिन उनका प्रेम अद्भुत, सार्वकालिक था, और है भी। एक समय जब कृष्ण राधा को छोड़ कर जा रहें थे, तो कृष्ण ने रोते रोते कहाँ कि हे राधे! मैं तेरा अपराधी हूं क्योंकि मैं जा रहा हूं। तब राधा ने मुस्कुरा कर कहाँ कि जा रहें हो कोई बात नहीं। तब कृष्ण ने अपनी बंसी जिससे सबसे ज्यादा प्रेम करते थे उन्होंने उठाकर उसे राधा को दे दिया। राधा ने पुछा क्यों? तो कृष्ण ने कहाँ कि यह हमारे तुम्हरे रिश्ते की पहचान है। राधा ने पुछा इसका मैं इसका क्या करूंगी, तब कृष्ण ने कहाँ कि जब तुम्हें मेरी याद आए तो इसको बजा देना, मैं आ जाऊंगा। तब राधा ने कहाँ कि यह बांसुरी कभी नहीं बजेगी। कृष्ण ने पुछा क्यों? तब राधा ने कहाँ कि तुमने कहाँ जब याद आयेगी तब बजा लेना, लेकिन याद उसको किया जाता है जिसको कभी भुला हो ओर मैं तुमको एक पल, एक क्षण भी भुल नहीं सकती, तो याद आने का कोई सवाल ही नहीं उठता है ओर यह बांसुरी कभी नहीं बजेंगी।

©मुसाफिर
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