ऐसे डुब गये हम तेरी मुहब्बत में, की कश्ती का हमें खयाल ही नहीं आया... वैसे पानी बहोत गहरा नहीं था, बस हम हैं की, हमें कभी तैरना ही नहीं आया.... - पल्लवी बाराते. तैरना नहीं आया..