ऱज़्म ना हो जिसमें - ना मेरी ऐसी त़कदीर , जो बदल दे रूख़ इसकी - ना है ऐसा कोई पीड़ ! दिल में जल चूकी है लौह.यारों - तो ग़म किस बात की, है अल्फ़ाज़ मेरी माशुका - और, कलम मेरी हीर !! ऋतु राज Dedicated to all Youth poets Bro.