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सुबह सुबह ही चाय संग, ले करके अखबार! कितना सच कि

सुबह सुबह ही चाय संग, 
ले करके अखबार! 
कितना सच कितना झूठ, 
करते सोच विचार! 

कुछ खबरें सच्ची होतीं, 
कुछ बिल्कुल झूठी! 
कुछ रोचक कुछ दुःख भरी, 
कुछ तो बहुत अनूठी! 

कुछ खबरें आसानी से, 
नही उतरतीं गले! 
होता है विश्वास नहीं, 
लगती हमको छलें! 

कुछ को आँख बंद कर हम, 
कर लेते यकीन! 
कुछ को पढ़ते ही हम सब, 
हो जाते गमगीन! 

कुछ होतीं हैं चटपटी, 
पढ़कर मन खुश होता! 
कुछ होतीं हैं ज्ञान भरी, 
सभी लगाते गोता! 

बेखुद अखबारों से हम, 
दुनियाँ से जुड़ पाते! 
लाख कमी हो फिर भी हम, 
हरदम हैं गुण गाते!

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #अखबार
सुबह सुबह ही चाय संग, 
ले करके अखबार! 
कितना सच कितना झूठ, 
करते सोच विचार! 

कुछ खबरें सच्ची होतीं, 
कुछ बिल्कुल झूठी! 
कुछ रोचक कुछ दुःख भरी, 
कुछ तो बहुत अनूठी! 

कुछ खबरें आसानी से, 
नही उतरतीं गले! 
होता है विश्वास नहीं, 
लगती हमको छलें! 

कुछ को आँख बंद कर हम, 
कर लेते यकीन! 
कुछ को पढ़ते ही हम सब, 
हो जाते गमगीन! 

कुछ होतीं हैं चटपटी, 
पढ़कर मन खुश होता! 
कुछ होतीं हैं ज्ञान भरी, 
सभी लगाते गोता! 

बेखुद अखबारों से हम, 
दुनियाँ से जुड़ पाते! 
लाख कमी हो फिर भी हम, 
हरदम हैं गुण गाते!

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #अखबार