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कभी ज्यादा कभी कम बोलती है, कभी खुशियां तो कभी गम

कभी ज्यादा कभी कम बोलती है,
कभी खुशियां तो कभी गम बोलती है,
हां ये तो मेरी कलम है साहब,
कभी रूखी सूखी तो कभी नम बोलती है।

कभी यारों के किस्सों को सुनाती है,
तो कभी यादों में रात भर जगाती है,
कभी रोते हुए को खिल के हंसाती है,
तो कभी गम में खुद ही भीग जाती है।

कभी नई नई इबारतें को गढ़ती है,
तो कभी हड़प्पा की इमारतों में खो जाती है,
कभी दुनियादारी की बातें समझाती है,
तो कभी बीन के लतीफो में गुदगुदाती है।

हां ये तो बस कलम है साहब,
कभी अपनी कहती है,
तो कभी सबकी सुनाती है।।

©Abhishek Gupta #Mountains #कलमसे #duniya Kavyarpan swati soni Mr... ALi TIGER_ ( FEARLESS TIGER) Prisha