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शून्य में निहारती मेरी आँखें ,आज भी तुम्हें ढूँढा

शून्य में निहारती मेरी आँखें ,आज भी तुम्हें ढूँढा करती हैं,
कहने भर को धड़कता है दिल ,ज़िन्दगी तो हर रोज मरती हैं,

तरसती  हैं   नज़रें  मेरी , बस तुम्हारी  एक  झलक  पाने को,
मेरी ख़ाली सी ज़िन्दगी में , एक तुम्हारी ही कमी खलती है,

क्यूँ  नही लौट आते हो तुम ,मेरे दिल की पुकार  सुनकर,
मेरी  तो पूरी ही  ज़िंदगी ,  तुम्हारी यादों  के सहारे चलती है,

नम हो जाती हैं आँखे ,जब तन्हाई में तुम्हारी याद चली आती है,
रात  ठहर  जाती  है  पलको  पर , फ़िर कहाँ शाम ढलती है,

कोई   नही   सुलझाता  है  , मेरी  ज़िंदगी की उलझी गिरह को,
जितना भी समझाऊँ दिल को ,ये गिरह और भी उलझती है।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #तुम्हारीयादें