न चादर बड़ी कीजिये, न ख्वाहिशें दफन कीजिये, चार दिन की ज़िन्दगी है, बस चैन से बसर कीजिये। न परेशान किसी को कीजिये, न हैरान किसी को कीजिये, कोई लाख गलत भी बोले, बस मुस्कुरा कर छोड़ दीजिये। न रूठा किसी से कीजिये, न झूठा वादा किसी से कीजिये, कुछ फुरसत के पल निकालिये, कभी खुद से भी मिला कीजिये। ©KhaultiSyahi #retro #Life_experience #MyThoughts #MyPoetry #mypoems #mylines #my rhyme #poetcommunity #Poet #khaultisyahi