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वो सावन की बूंदे वो सर्दी की रातें वो जुल्फों की छ

वो सावन की बूंदे वो सर्दी की रातें
वो जुल्फों की छांव लगे याद आने

वो संकरी सी गलियाँ वो दर्जन चौराहे 
गतिरोध, सिग्नल लगे याद आने 

वो गर्मी के दिन वो पांव के छाले 
वो दरखत की छाया लगे याद आने 

वो बचपन जवानी मजनू दिवाने 
पीरी में सब लगे याद आने 

आदिल  रहा गुरबत जिंदगी कमाने
अब अहले वतन लगे याद आने!

©Adil Ali Khan #gurabat
वो सावन की बूंदे वो सर्दी की रातें
वो जुल्फों की छांव लगे याद आने

वो संकरी सी गलियाँ वो दर्जन चौराहे 
गतिरोध, सिग्नल लगे याद आने 

वो गर्मी के दिन वो पांव के छाले 
वो दरखत की छाया लगे याद आने 

वो बचपन जवानी मजनू दिवाने 
पीरी में सब लगे याद आने 

आदिल  रहा गुरबत जिंदगी कमाने
अब अहले वतन लगे याद आने!

©Adil Ali Khan #gurabat