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आज अखबारों में वही खबर फिर नज़र आई है। निर्भया हो

आज अखबारों में वही खबर फिर नज़र आई है।
निर्भया हो या आसिफा, बिन लिबास फिर नज़र आई है।।

ना जाने कहाॅं रह गई है अब इंसानियत इंसानों में, उस हवस भरे इंसान के चेहरे पर अब उसकी हवस नज़र आई है।।।

अरे! समाजवालों कहाॅं हो तुम ??
अब जाकर तो तुम्हारी बारी आई है।
शमा जलाने से आवाज़ उठाने तक, यह कर्तव्य निभाने की फिर बारी आई है।।
पीड़िता के मर जाने पर जो तुम अक्सर किया करते हो, आवाज़ तो उठाते हो और चार दिन याद किया करते हो ... बस यही सब करने की वापस बारी आई है।।।

कहते तो है कि देश बदल रहा है, ना जाने कब देखने को मिलेगा ??
गर बदलना ही है तो थोड़ा संविधान बदल कर देखो, फिर शायद मुलज़िम भी रेप करने को डरेगा ...

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के समय में, बेटी को ही मार दिया जाता है।
गोर कलयुग है साहब ! यहाॅं रेप होने पर भी इल्ज़ाम लड़की के सर डाल दिया जाता है।।

कैसे बेरहम हो सकते हो तुम इस कदर कि तुम्हें पीड़िता की पीड़ा भी महज़ एक मज़ाक नज़र आई??
जो पड़ी थी सड़क पर खून से लतपथ, ना जाने उसमें तुम्हें अपनी बेटी या बहन क्यों नहीं नज़र आई??
 
काश यह एकजुटता तुमने पहले दिखलाई होती.... अपने परिवार में लड़कों को सही शिक्षा दिलवाई होती।
समाज तो कहते हो खुद को, काश समाज की असली परिभाषा कभी पहले बतलाई होती...
तो हो सकता था कि यह खौफनाक खबर आज फिर ना आई होती.... यह खौफनाक खबर आज फिर ना आई होती।।
                                    ~(Saarthak Kachroo) ✍️

©Saarthak Kachroo #Rape #Raped ✍️

#me
आज अखबारों में वही खबर फिर नज़र आई है।
निर्भया हो या आसिफा, बिन लिबास फिर नज़र आई है।।

ना जाने कहाॅं रह गई है अब इंसानियत इंसानों में, उस हवस भरे इंसान के चेहरे पर अब उसकी हवस नज़र आई है।।।

अरे! समाजवालों कहाॅं हो तुम ??
अब जाकर तो तुम्हारी बारी आई है।
शमा जलाने से आवाज़ उठाने तक, यह कर्तव्य निभाने की फिर बारी आई है।।
पीड़िता के मर जाने पर जो तुम अक्सर किया करते हो, आवाज़ तो उठाते हो और चार दिन याद किया करते हो ... बस यही सब करने की वापस बारी आई है।।।

कहते तो है कि देश बदल रहा है, ना जाने कब देखने को मिलेगा ??
गर बदलना ही है तो थोड़ा संविधान बदल कर देखो, फिर शायद मुलज़िम भी रेप करने को डरेगा ...

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के समय में, बेटी को ही मार दिया जाता है।
गोर कलयुग है साहब ! यहाॅं रेप होने पर भी इल्ज़ाम लड़की के सर डाल दिया जाता है।।

कैसे बेरहम हो सकते हो तुम इस कदर कि तुम्हें पीड़िता की पीड़ा भी महज़ एक मज़ाक नज़र आई??
जो पड़ी थी सड़क पर खून से लतपथ, ना जाने उसमें तुम्हें अपनी बेटी या बहन क्यों नहीं नज़र आई??
 
काश यह एकजुटता तुमने पहले दिखलाई होती.... अपने परिवार में लड़कों को सही शिक्षा दिलवाई होती।
समाज तो कहते हो खुद को, काश समाज की असली परिभाषा कभी पहले बतलाई होती...
तो हो सकता था कि यह खौफनाक खबर आज फिर ना आई होती.... यह खौफनाक खबर आज फिर ना आई होती।।
                                    ~(Saarthak Kachroo) ✍️

©Saarthak Kachroo #Rape #Raped ✍️

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