Nojoto: Largest Storytelling Platform

# "एक नारी छोड़कर माँ-बाबुल का घर | English Poetry

"एक नारी छोड़कर माँ-बाबुल का घर-बार,
सींचती है नयन-जल से अपने पी का आंगन,
फूल पी के प्यार का खिला पाकर,
महकने लगता है उसके मन का उपवन,
पतझड़ सावन बसंत बहार,
आते हैं उतार-चढ़ाव के न जाने कितने मौसम,
तन मन अपना समर्पण करकर,
चमका लेती वह अपने जीवन का दर्पण।।"
anjalisinghal5635

Anjali Singhal

Bronze Star
New Creator
streak icon26

"एक नारी छोड़कर माँ-बाबुल का घर-बार, सींचती है नयन-जल से अपने पी का आंगन, फूल पी के प्यार का खिला पाकर, महकने लगता है उसके मन का उपवन, पतझड़ सावन बसंत बहार, आते हैं उतार-चढ़ाव के न जाने कितने मौसम, तन मन अपना समर्पण करकर, चमका लेती वह अपने जीवन का दर्पण।।" #Poetry #AnjaliSinghal

144 Views