इमारत की मंज़िलें ढहने लगे, गर एक ईंट दूसरी ईंट को बर्दाश्त न करे। अभी समय नहीं है पर बदलेगा जब मैं लिखूंगा गर एक ईंट दूसरी ईंट पर भरोसा न करे।