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मानवता.......हथिनी "पूरी कविता शीर्षक म

मानवता.......हथिनी

          "पूरी कविता शीर्षक में" हैं इंसानों की काली करतूत ये कैसी,
बेजुबानों के दर्द से महरूम रहा।
मानवता की खाकी खाल ओ पहने,
क्रूरता बर्बरता का बस प्रतीक रहा।। 1

ऐसा जघन्य घातक प्रहार किया तुमने,
एक साथ दो जीवों को चिरनिंद्रा में सुलाया।
नहीं दया भाव ना ममता अाई तुममें,
मानवता.......हथिनी

          "पूरी कविता शीर्षक में" हैं इंसानों की काली करतूत ये कैसी,
बेजुबानों के दर्द से महरूम रहा।
मानवता की खाकी खाल ओ पहने,
क्रूरता बर्बरता का बस प्रतीक रहा।। 1

ऐसा जघन्य घातक प्रहार किया तुमने,
एक साथ दो जीवों को चिरनिंद्रा में सुलाया।
नहीं दया भाव ना ममता अाई तुममें,

हैं इंसानों की काली करतूत ये कैसी, बेजुबानों के दर्द से महरूम रहा। मानवता की खाकी खाल ओ पहने, क्रूरता बर्बरता का बस प्रतीक रहा।। 1 ऐसा जघन्य घातक प्रहार किया तुमने, एक साथ दो जीवों को चिरनिंद्रा में सुलाया। नहीं दया भाव ना ममता अाई तुममें, #yqbaba #yqdidi #नेह_की_गाथा #NUBGupta #मानवता_की_नेह_कहानी