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बालपन में एक बात थी जो मुझे कभी समझ नहीं आई। मैं स

बालपन में एक बात थी जो मुझे कभी समझ नहीं आई। मैं सदैव आश्चर्यचकित रहता था कि ऐसा कैसे हो सकता है। बात कुछ यूं थी। मैं हमारी गौशाला में देखता था। अलग-अलग रंग रूप की गईया किसी का रंग काला तो किसी का सफेद किसी का भुरा तो किसी का चित कब्रा, अब मैं देखता था किसी के सिंह बड़े हैं तो किसी के इतने छोटे की मानो दिखाई ही ना दे। कोई गईया आकार में छोटी थी तो कोई तनिक बड़ी। किंतु जब यह सारी गईया दूध देती थी तब मैंने देखा सब कुछ तो समान है रंग समान, स्वाद समान, गुण समान, पौष्टिकता समान। अब मैं ये समझ नहीं पाया मेरी दृष्टि से तो सारी गईयां अलग-अलग थी। मैंने सोचा मैं मैया से पूछता हूं, मैंने मैया से पूछा, मैया ने मुझसे कहा, कान्हा रंग रूप बदलने से गईया की वास्तविकता तो नहीं बदलती ना गईया तो गईया ही रहेगी। अब मैं ये बात नहीं समझ पाता कि मनुष्य इसे आत्मसात कैसे नहीं कर सकता। देखिए रंग, रूप, जात, धर्म, भाषा इससे ऊपर है मानवता और मानवता का एक ही धर्म है और वो है प्रेम यो यही प्रेम आप सब में बाटते रहिए। प्रेम से सब की सेवा करते रहिए। इस मानवता का अमृत चख के देखिए फिर आप समझ जाएंगे कि हम सब भिन्न-भिन्न नहीं है हम सभी एक हैं।

राधे राधे

©Karan Mehra #krishnvani
बालपन में एक बात थी जो मुझे कभी समझ नहीं आई। मैं सदैव आश्चर्यचकित रहता था कि ऐसा कैसे हो सकता है। बात कुछ यूं थी। मैं हमारी गौशाला में देखता था। अलग-अलग रंग रूप की गईया किसी का रंग काला तो किसी का सफेद किसी का भुरा तो किसी का चित कब्रा, अब मैं देखता था किसी के सिंह बड़े हैं तो किसी के इतने छोटे की मानो दिखाई ही ना दे। कोई गईया आकार में छोटी थी तो कोई तनिक बड़ी। किंतु जब यह सारी गईया दूध देती थी तब मैंने देखा सब कुछ तो समान है रंग समान, स्वाद समान, गुण समान, पौष्टिकता समान। अब मैं ये समझ नहीं पाया मेरी दृष्टि से तो सारी गईयां अलग-अलग थी। मैंने सोचा मैं मैया से पूछता हूं, मैंने मैया से पूछा, मैया ने मुझसे कहा, कान्हा रंग रूप बदलने से गईया की वास्तविकता तो नहीं बदलती ना गईया तो गईया ही रहेगी। अब मैं ये बात नहीं समझ पाता कि मनुष्य इसे आत्मसात कैसे नहीं कर सकता। देखिए रंग, रूप, जात, धर्म, भाषा इससे ऊपर है मानवता और मानवता का एक ही धर्म है और वो है प्रेम यो यही प्रेम आप सब में बाटते रहिए। प्रेम से सब की सेवा करते रहिए। इस मानवता का अमृत चख के देखिए फिर आप समझ जाएंगे कि हम सब भिन्न-भिन्न नहीं है हम सभी एक हैं।

राधे राधे

©Karan Mehra #krishnvani