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दो लब्ज़ सुन के मेरे, एक हमदर्दी का ऐहसास दे गई, क

दो लब्ज़ सुन के मेरे, एक हमदर्दी का ऐहसास
दे गई, कुछ अपनी कही कहानियाँ तो कुछ
मेरो तराने सुन के चली गई, कुछ और
जब आगे बढ़ने की मेरी बारी आती है, तो वह देखता है
फिर एक बार पलट गई के फिर याद आया
की यह तो वक्त है इसकी फितरत में ही
है बेवफाई |

©SAHIL KUMAR
  वक्त की बेवफाई
sahilkumar8501

SAHIL KUMAR

New Creator

वक्त की बेवफाई #कविता

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