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बहुत दिन हुए, कुछ लिख नहीं पाया, जाने क्यों खयालों

बहुत दिन हुए, कुछ लिख नहीं पाया,
जाने क्यों खयालों को मुझ पर तरस नहीं आया,
ये नहीं कि ठहर जाएं कुछ पल मेरे साथ,
उन्हे भी मेरा साथ शायद नहीं भाया, 
अब फिर वही मौसम है, और फिर वही है दिल्ली, 
फिर क्यों इस बार इसने मुझे नहीं अपनाया, 
भटकता रहा हूँ तेरी गलियों में मैं फिर से, 
हर उस जगह भटका जहां इक लम्हा भी था बिताया, 
तू पहला प्यार है दिल्ली और हमेशा रहेगी, 
तू ही तो है जहां जुदा हुआ था मुझसे मेरा गुमान, 
और तू ही तो है जहां मिला था मुझे मेरा अपना साया 
 #poetry #poetryisnotdead #heartbeat #delhi #dilli #originalpoetry #tej
बहुत दिन हुए, कुछ लिख नहीं पाया,
जाने क्यों खयालों को मुझ पर तरस नहीं आया,
ये नहीं कि ठहर जाएं कुछ पल मेरे साथ,
उन्हे भी मेरा साथ शायद नहीं भाया, 
अब फिर वही मौसम है, और फिर वही है दिल्ली, 
फिर क्यों इस बार इसने मुझे नहीं अपनाया, 
भटकता रहा हूँ तेरी गलियों में मैं फिर से, 
हर उस जगह भटका जहां इक लम्हा भी था बिताया, 
तू पहला प्यार है दिल्ली और हमेशा रहेगी, 
तू ही तो है जहां जुदा हुआ था मुझसे मेरा गुमान, 
और तू ही तो है जहां मिला था मुझे मेरा अपना साया 
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